I want the whole meaning of ageet and geet poem
पद्यांश 1. - नदी विरह के गीत गाते हुए बड़ी तेजी से बह रही है। ऐसे में लगता है कि वह किनारों से कुछ कह रही है। पास में ही किनारे पर एक गुलाब चुपचाप यह सब देख रहा है और सोच रहा है कि यदि भगवान ने उसे भी बोलने की शक्ति दी होती तो वह भी पूरी दुनिया को अपने सपनों के गीत सुनाता।
पद्यांश 2 - किसी डाल पर तोता बैठा हुआ है और उसी डाल की छाया में जो घोंसला है उसमें उसकी मादा अंडे से रही है। जब सूर्य की किरणें पत्तों से छनकर आती हैं और तोते के पंखों का स्पर्श करती हैं तो तोता गाने लगता है। उसका गाना सुनकर उसकी मादा भी गाना चाहती है लेकिन उसका गीत केवल प्यार में सराबोर होकर रह जाता है और उसके मुँह से कुछ नहीं निकलता है। उधर तोते का गीत पूरे वन में गूँज रहा है और इधर उसकी मादा फूले नहीं समा रही है।
पद्यांश 3 - वन में दो प्रेमी रहते हैं। जब प्रेमी शाम के समय आल्हा गाता है तो उसकी प्रेमिका उस गाने को सुनने के लिए खिंची चली आती है। वह छुप छुप कर गाना सुनती है और सोचती है कि वह उस गीत का हिस्सा क्यों नहीं बन जाती है। जब प्रेमी गाता है तो प्रेमिका का मन फूले नहीं समाता है।