Bus yatra par ek anuched

bus yatra par ek launched.

बस यात्रा

यात्रा शब्द ही अपने आप एक रोमांच पैदा कर देता है। उसपर बस की यात्रा तो क्या कहने। तो इस बार मैंने अकेले ही बिना कोई पूर्व नियोजित योजना के यात्रा पर जाने का निर्णय लिया। यात्रा के लिए जरुरी सामानों की एक सूची तैयार कर ली और झटपट उसके अनुसार सामान बाँध लिया और निकल पड़ा।

बस अड्डे पर पहुँचकर मैं बस का बेसब्री से इंतजार करने लगा। मेरे चारों और बस लोगों की रेलमपेल चल रही थी। यात्री बस आने का इंतजार कर रहे थे। कुछ ने तो मानो बस अड्डे को ही अपना घर बना लिया था। आराम से चटाई और दरियाँ डालकर बैठे हुए थे। हॉकर भी अपना सामान बेचने में मशगूल थे। इतने में बस आने की घोषणा हुई तो लगा जैसे सैलाब ही आ गया। सभी बस पकड़ने की होड़ करने लगे। सभी लोग अपना- अपना सामान लेकर आगे बस की ओर चल पड़े। मैंने भी अपना सामान लिया और भीड़ के साथ हो लिया। लोगों की तरह ही मैं भीड़ में घुसकर बस में अंदर चढ़ने की कोशिश करने लगा। परंतु भीड़ इतनी अधिक थी कि हम चढ़ नहीं पाए और बस चल पड़ी। पर मेरा भाग्य अच्छा था कि कुछ दूर जाकर बस फिर से रुक गई। हम सभी ने फिर से भागकर चढ़ना शुरु किया। सभी को बड़ी चिंता और हडबडाहट हो रही थी। इतने में किसी का सामान गिर गया। वह उसे उठाने लगा। इसके बाद बस कंडक्टर ने सीटी दी और बस चल दी। बस के अंदर मुझे जगह तो आराम से मिल गयी। बस तेजी से चली जा रही थी। खिड़की से बाहर का नजारा देखा तो आँखें खुली की खुली ही रह गई। पलकें जैसे झपकना ही भूल गईं हो। चारों ओर ऊँचें-ऊँचें घुमावदार प्राकृतिक सुंदरता से भरे पहाड़ों पर बस चढ़ती जा रही थी। बस के चलने से ठंडी हवा के साथ-साथ फूलों की भीनी-भीनी खुशबू भी आ रही थी। कुछ देर के बाद बस एक जगह पर रुक गई। मुझे अभी लंबा सफर तय करना था। इसलिए लोगों के साथ मैं भी बस से बाहर स्टेशन पर उतर गया। उस समय शाम होने ही वाली थी सूर्य की रोशनी ने सारे वातावरण को एक नए ही रूप में मेरे सामने ला खड़ा कर दिया था। बस के बाहर उतरकर ऐसा लगा। मानो प्रकृति ने अपने सारे रंग यहीं बिखेर दिए हों। जहाँ तक नजर जाती थी वहाँ तक बस प्रकृति के अद्भुत नजारे ही देखने को मिल रहे थे। इससे पहले मैं इतने बढ़िया खुशगवार मौसम का आनंद नहीं लिया था वहाँ पर मैंने चाय और नाश्ता किया और बस में चढ़ गया और बस आगे चल दी।

इस तरह अपनी इस खुशनुमा यात्रा का आनंद उठाता हुआ मैं अपने गन्तव्य पर पहुँच गया।